India US Trade: भारत के विदेश मंत्री सुभाष चंद्रा जासंकर ने 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA 80) सत्र में वैश्विक व्यापार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अहम बयान दिया। उन्होंने अमेरिका और चीन की व्यापार नीतियों पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला किया और कहा कि कुछ विकसित देश वैश्विक संकटों और व्यापारिक मामलों में असमान व्यवहार करते हैं। उन्होंने वैश्विक दक्षिण देशों को संरक्षणवादी दबावों का विरोध करने और अपनी स्वतंत्र नीतियों को बनाए रखने का आह्वान किया। इस संबोधन में india us trade पर भी जासंकर का दृष्टिकोण सामने आया।
India US Trade जासंकर का UNGA भाषण और संदेश

विदेश मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि वैश्विक व्यापार में US tariffs, तकनीकी प्रतिबंध और जबरन सप्लाई चेन नीतियां अंतरराष्ट्रीय विश्वास को कमजोर कर रही हैं। उन्होंने कहा कि केवल कुछ विकसित देशों के निर्णय ही वैश्विक आर्थिक प्रणाली को प्रभावित कर रहे हैं, जबकि अन्य देशों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
जासंकर ने Jaishankar UN General Assembly में यह भी स्पष्ट किया कि भारत हमेशा अपनी राष्ट्रीय नीतियों और स्वतंत्रता को प्राथमिकता देगा। उन्होंने वैश्विक दक्षिण देशों से आग्रह किया कि वे भी अपनी सुरक्षा और विकास के लिए साहसिक निर्णय लें।
अमेरिका और चीन पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी
जासंकर ने कहा कि कुछ विकसित देशों की नीति, विशेषकर अमेरिका और चीन की व्यापारिक रणनीति, उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि यह नीति तकनीकी और आर्थिक दबाव पैदा करती है और china supply chains पर अनावश्यक निर्भरता बढ़ाती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह भारत का संकेत है कि वह अमेरिका और चीन की दबावकारी नीतियों को अपनी राष्ट्रीय योजनाओं पर हावी नहीं होने देगा।
भारत का स्वतंत्र व्यापारिक रुख
विदेश मंत्री ने जोर दिया कि भारत वैश्विक व्यापार में अपनी स्वतंत्रता बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि देश का उद्देश्य केवल अपने हितों की रक्षा करना नहीं है, बल्कि अन्य वैश्विक दक्षिण देशों को समान अवसर देना भी है।
भारत BRICS देशों और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर व्यापार में संरक्षणवाद के खिलाफ कदम उठाएगा। यह नीति वैश्विक व्यापार प्रणाली में भरोसे और निष्पक्षता बनाए रखने की दिशा में एक अहम कदम है।
ऊर्जा संकट और रूस पर संकेत
जासंकर ने वैश्विक ऊर्जा संकट और Russian oil imports पर भी अप्रत्यक्ष टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कुछ विकसित देशों की नीतियों के कारण वैश्विक ऊर्जा बाजार अस्थिर हुआ है। भारत ने संकेत दिया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लेगा और बाजार स्थिरता सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत का स्पष्ट संदेश है कि वह वैश्विक दबावों के सामने बिना योजना के झुकेगा नहीं।
वैश्विक दक्षिण और भारत का दृष्टिकोण
जासंकर ने वैश्विक दक्षिण देशों को आह्वान किया कि वे विकासशील देशों के हितों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पुराने व्यापारिक दबाव और Donald Trump के समय की नीतियाँ अब अप्रभावी हो चुकी हैं।
भारत वैश्विक सहयोगियों के साथ मिलकर व्यापार और तकनीकी नीतियों में न्यायपूर्ण और पारदर्शी समाधान खोजेगा।
COVID-19 और वैश्विक व्यापार

विदेश मंत्री ने COVID-19 महामारी के दौरान व्यापार और आर्थिक नीतियों में असमानता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि संकट के समय कुछ विकसित देशों ने केवल अपने लाभ को प्राथमिकता दी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि india us trade सहित अन्य बहुपक्षीय व्यापारिक मामलों में भारत हमेशा स्वतंत्र और संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगा।
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