CIBIL Score : हममें से बहुत से लोग इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि जब भी हम बैंक से लोन लेने जाते हैं, तो सबसे पहले हमारा CIBIL स्कोर देखा जाता है। यह स्कोर तय करता है कि हमें लोन मिलेगा या नहीं। लेकिन अब सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिसने लाखों किसानों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। अब खेती के लिए लोन लेने वालों को अपने CIBIL Score की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।
CIBIL Score खराब है अब भी मिलेगा कृषि लोन

कई बार किसान मेहनत तो बहुत करते हैं, लेकिन समय पर कर्ज नहीं चुका पाने की वजह से उनका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है। ऐसे में जब उन्हें अगली बार लोन की ज़रूरत होती है, तो बैंक दरवाजे बंद कर देते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मिलकर किसानों को राहत देने वाला बड़ा कदम उठाया है।
RBI और सरकार के निर्देश किसानों को न करें मना
सरकार ने बैंकों को साफ निर्देश दिए हैं कि वे अब कृषि लोन के लिए CIBIL स्कोर पर ज़ोर न दें। यानी अगर कोई किसान खेती के लिए लोन लेना चाहता है, तो बैंक उसका CIBIL स्कोर देखकर लोन देने से मना नहीं कर सकते। अगर कोई बैंक ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में हुआ बड़ा ऐलान, FIR तक दर्ज
हाल ही में महाराष्ट्र के सह्याद्री गेस्ट हाउस में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि RBI के नियमों के तहत बैंकों को किसानों से CIBIL स्कोर नहीं मांगना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में कुछ बैंकों के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है, जो यह दिखाता है कि सरकार इस फैसले को लेकर कितनी गंभीर है।
2025-26 के लिए 44.76 लाख करोड़ की लोन योजना
मुख्यमंत्री ने इस बैठक के दौरान यह भी घोषणा की कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राज्य में 44.76 लाख करोड़ रुपये की लोन योजना को मंजूरी दी गई है। यह रकम खास तौर पर कृषि क्षेत्र को मजबूत करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवंटित की गई है।
किसानों को मिलेगी आर्थिक ताकत, बैंकों को होगा लाभ
सरकार का मानना है कि किसान ही इस देश की रीढ़ हैं। अगर उन्हें सही समय पर आर्थिक मदद दी जाए, तो वे न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकते हैं, बल्कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बना सकते हैं। मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार इस साल अच्छी बारिश होने की संभावना है, जिससे फसल भी अच्छी हो सकती है। ऐसे में बैंकों को चाहिए कि वे किसानों को ज़्यादा से ज़्यादा लोन मुहैया कराएं और उनके साथ खड़े हों।
कृषि को व्यवसाय मानें, सिर्फ सहायक नहीं

अब सरकार कृषि को केवल एक सहायक क्षेत्र नहीं, बल्कि एक व्यावसायिक उद्यम के रूप में देख रही है। यही वजह है कि कृषि निवेश के लिए 5,000 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना बनाई गई है। इसमें बैंकों की भागीदारी अनिवार्य है। यदि बैंक इस दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो उन्हें भी बड़ा फायदा होगा।
यह कदम न केवल किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण है, बल्कि देश की कृषि व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास भी है। अब किसान अपने भविष्य को लेकर अधिक आश्वस्त हो सकते हैं, क्योंकि सरकार और बैंक दोनों ही उनके साथ खड़े हैं। उन्हें अब सिर्फ मेहनत करनी है, कर्ज और स्कोर की चिंता सरकार ने अपने सिर ले ली है।
Disclaimer : यह लेख सरकारी और सार्वजनिक समाचार स्रोतों पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि लोन से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया को शुरू करने से पहले संबंधित बैंक या अधिकृत अधिकारी से जानकारी अवश्य प्राप्त करें।
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