हर फैन को उस पल का इंतजार था जब चेन्नई सुपर किंग्स की जीत के साथ फिर से वो पुराना जश्न लौट आए। और इस बार, वो पल लेकर आए दो ऐसे खिलाड़ी जिन पर भरोसा करना कभी गलत नहीं होता Dhoni-Shivam। जब टीम की उम्मीदें डगमगाने लगी थीं, तभी इन दोनों ने मोर्चा संभाला और चेन्नई को हार की लहर से बाहर निकाला।
फिर बना भरोसे का नाम Dhoni
चेन्नई का मध्यक्रम एक बार फिर लड़खड़ा रहा था। 167 रनों के लक्ष्य की ओर बढ़ रही टीम को हर ओवर भारी लगने लगा था। लेकिन जैसे ही Dhoni मैदान में आए, स्टेडियम में सन्नाटा टूट गया और उम्मीद की रोशनी चमकने लगी। सिर्फ 11 गेंदों में 26 रन की उनकी तेज़ तर्रार पारी ने न सिर्फ रनगति को सहारा दिया, बल्कि विपक्षी गेंदबाजों के माथे पर भी चिंता की लकीरें खींच दीं। उनकी बल्लेबाजी में वही पुराना आत्मविश्वास था, जिसने मैच का रुख बदल दिया।
Shivam दुबे चुपचाप मगर निर्णायक
Dhoni के साथ खड़े होकर Shivam दुबे ने कमाल की सूझबूझ दिखाई। उन्होंने वो संयम दिखाया जो बड़े मैचों में बड़े खिलाड़ी दिखाते हैं। जब हर ओवर में रन बनाना मुश्किल लग रहा था, तब दुबे ने धैर्य नहीं खोया। आखिरी ओवर की तीसरी गेंद पर जैसे ही उन्होंने विजयी चौका मारा, पूरा चेन्नई खेमे में राहत की सांस ली। लंबे समय बाद चेन्नई को वो जीत मिली जिसकी उन्हें बेहद जरूरत थी।
गेंदबाजों का छुपा हुआ योगदान
हालांकि मैच का आकर्षण धोनी-दुबे की जोड़ी रही, पर चेन्नई के गेंदबाजों ने भी शानदार काम किया। खलील अहमद और अंशुल कम्बोज ने पॉवरप्ले में विपक्षी बल्लेबाजों को खुलने का मौका ही नहीं दिया। खलील ने पहले ही ओवर में विकेट चटका दिया, तो कम्बोज ने निकोलस पूरन को DRS की मदद से चलता किया।
और फिर आया नूर अहमद का जादुई स्पेल चार ओवर में सिर्फ 13 रन, और वो भी बीच के ओवरों में, जब बल्लेबाज तेजी से रन बनाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने पंत को 15 गेंदों पर सिर्फ 6 रन पर रोके रखा। हालांकि विकेट नहीं मिला, लेकिन मैच की दिशा बदल दी।
ऋषभ पंत की संघर्षपूर्ण पारी
लखनऊ के लिए ऋषभ पंत ने आखिर तक लड़ाई लड़ी। शुरुआत में उनका अंदाज़ आक्रामक था, लेकिन नूर अहमद की चतुराई के आगे वो हाथ खोल नहीं पाए। 63 रन की पारी ने स्कोर को 166 तक पहुंचाया, लेकिन वो स्कोर जीत के लिए काफी नहीं रहा।
चेन्नई की पुरानी कमजोरी फिर सामने
साल 2021 से अब तक चेन्नई ने 175+ रनों का लक्ष्य सिर्फ एक बार ही सफलतापूर्वक चेज़ किया है। और इस बार भी एक समय लग रहा था कि मैच फिर हाथ से निकल जाएगा। मध्यक्रम की कमजोरी फिर उभरकर सामने आई, लेकिन इस बार धोनी और दुबे ने इतिहास दोहराने नहीं दिया।
शुरुआत में रचिन रवींद्र और डेब्यू कर रहे शेख राशिद ने उम्मीद जगाई। शेख ने तीन शानदार चौके लगाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया, लेकिन उनका टिके रहना संभव नहीं हो सका। फिर जैसे-जैसे विकेट गिरते गए, मैच फिसलता गया। लेकिन अंतिम चार ओवरों में जो हुआ, वो धोनी-दुबे की जोड़ी ही कर सकती थी।
धोनी के छक्के और चौके, दुबे की सधी हुई बल्लेबाजी, और शार्दुल ठाकुर के ओवर में आए रन ये सब मिलकर चेन्नई को वो जीत दिला गए जिसकी टीम को बेहद जरूरत थी। यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, ये उस भरोसे की वापसी थी जिसके लिए चेन्नई सुपर किंग्स जानी जाती है। धोनी और दुबे की साझेदारी ने सिर्फ मैच नहीं जिताया, बल्कि पूरे सीज़न को नई दिशा दे दी। अब फैंस को उम्मीद है कि ये जीत सिलसिला बने और चेन्नई फिर से प्लेऑफ की दौड़ में मजबूती से खड़ी हो।
Disclaimer: यह लेख मैच में घटित घटनाओं और खेल प्रदर्शन पर आधारित है। इसमें उपयोग की गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है और इसका उद्देश्य पाठकों तक खेल से जुड़ी सटीक जानकारी पहुंचाना है।
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