H1b Visa Fees: अमेरिका में काम करने के लिए सबसे लोकप्रिय H-1B वीज़ा अब महंगा हो गया है। राष्ट्रपति Donald Trump ने घोषणा की है कि नए वीज़ा अप्लिकेंट्स को अब हर साल $100,000 की H1b Visa Fees चुकानी होगी। इस फैसले ने भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और कंपनियों में चिंता पैदा कर दी है। हालांकि, USCIS और White House ने साफ किया है कि यह नियम केवल नए अप्लिकेंट्स पर लागू होगा, मौजूदा वीज़ा धारकों पर नहीं।
H1b Visa Fees Donald Trump: किसे होगी सबसे ज्यादा परेशानी?
अब H1b Visa Fees Donald Trump के नए फैसले से इन कंपनियों की लागत काफी बढ़ जाएगी। छोटे स्टार्टअप्स और मिड-साइज़ कंपनियों के लिए विदेशी टैलेंट को हायर करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
H1b Visa Fees News: USCIS और व्हाइट हाउस की सफाई
इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर तेजी से चर्चा और घबराहट फैल गई। लोग सोचने लगे कि क्या मौजूदा H1B वीज़ा धारकों को भी नई फीस का भुगतान करना पड़ेगा। हालांकि, H1B Visa Fees News के मुताबिक USCIS ने स्पष्ट कर दिया है कि यह नई फीस केवल नए अप्लिकेंट्स पर ही लागू होगी। मौजूदा वीज़ा धारकों और पहले से अप्लाई किए गए केस पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। यह नियम फरवरी 2026 की लॉटरी से जुड़े नए आवेदनों पर ही लागू होगा।
H1b Visa: भारतीय दूतावास की इमरजेंसी हेल्पलाइन
भारतीय समुदाय की बढ़ती चिंता को देखते हुए, अमेरिका में भारतीय दूतावास ने +1-202-550-9931 पर एक आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किया है।
यह हेल्पलाइन उन भारतीय नागरिकों के लिए है जिन्हें अचानक आई इस स्थिति से तात्कालिक मदद चाहिए। हालांकि, दूतावास ने साफ किया है कि यह नंबर केवल आपातकाल के लिए इस्तेमाल हो।
Donald Trump और इमिग्रेशन विवाद
Donald Trump पहले भी कड़े इमिग्रेशन कदमों के लिए जाने जाते रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि उनका यह कदम सिर्फ immigration policy को और सख्त बनाने के लिए है।
कांग्रेस सांसदों ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह भारतीय समुदाय को निशाना बनाने जैसा है। वहीं, भारतीय सरकार ने इसे “मानवीय चिंता” वाला मामला बताया है।
Donald Trump H1b Visa: टेक सेक्टर पर सबसे बड़ा असर
Bloomberg की रिपोर्ट बताती है कि H-1B वीज़ा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल Amazon, Microsoft, Meta और Apple जैसी कंपनियाँ करती हैं।
अब Donald Trump H1b visa पॉलिसी से इन कंपनियों को हर साल अरबों डॉलर का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर सीधे अमेरिका की US economy और job security पर पड़ेगा।