31 अगस्त 2025 से महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2025) की शुरुआत हो चुकी है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से घर में धन-धान्य, सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।
अगर कोई पूरे 16 दिन का व्रत करने में सक्षम न हो, तो केवल कथा श्रवण करने से भी पुण्य फल मिलता है। यही कारण है कि यह व्रत Hindu Festivals में से एक प्रमुख पर्व माना जाता है।
महालक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीनकाल में मंगलार्ण नामक सम्राट की पत्नी पद्मावती ने महालक्ष्मी व्रत का अपमान किया था। उन्होंने राजा के हाथ से बंधा व्रत का सूत्र अग्नि में डाल दिया। इसके परिणामस्वरूप उन्हें पति का साथ छोड़ना पड़ा और वनवास झेलना पड़ा। बाद में ऋषि वसिष्ठ ने पद्मावती को यह व्रत करने की सलाह दी। व्रत करने से उनका चित्त निर्मल हुआ और सौंदर्य एवं आचरण में सकारात्मक बदलाव आया।
जब राजा पुनः वन में आए तो उन्होंने अपनी रानी को पहचान लिया और नगर लौट आए। इसके बाद पूरे राज्य ने श्रद्धापूर्वक महालक्ष्मी व्रत किया और समृद्धि प्राप्त की। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि Mahalaxmi Vrat Katha केवल पूजा का ही हिस्सा नहीं है, बल्कि आस्था, श्रद्धा और धैर्य का भी प्रतीक है।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
भगवान शिव ने स्कंद को इस व्रत का महत्व बताते हुए कहा था कि – “जो भी स्त्री या पुरुष सावधानीपूर्वक इस व्रत को करेगा, उसकी सभी कामनाएँ पूर्ण होंगी। यहां तक कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी उसके पक्ष में रहते हैं।” इस व्रत का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इससे Alakshmi (अलक्ष्मी यानी दरिद्रता) घर में प्रवेश नहीं करती। आज के समय में भी यह व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शांति और पारिवारिक एकता के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
महालक्ष्मी व्रत कैसे करें? (पूजा विधि)
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- चावल, फूल, धूप और प्रसाद अर्पित करें।
- महालक्ष्मी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
- 16 दिन तक नियमपूर्वक पूजा और व्रत का पालन करें।
अगर किसी कारण 16 दिन व्रत करना संभव न हो, तो पहले और अंतिम दिन व्रत करके कथा अवश्य सुनें।
आधुनिक समय में महालक्ष्मी व्रत की प्रासंगिकता
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में भी Mahalaxmi Vrat को लोग उत्साह और आस्था के साथ करते हैं। यह व्रत न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है बल्कि मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और पारिवारिक बंधन को भी मजबूत करता है।
Mahalaxmi Vrat 2025 केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य प्राप्त करने का मार्ग है। इस व्रत की कथा और पूजा विधि का पालन करने से भक्त निश्चित ही मां लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त करता है।
Disclaimer: यह लेख सामान्य धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है। किसी भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करने से पहले परिवार के बुजुर्गों या गुरुजन की सलाह अवश्य लें।
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