Maharashtra News: की मिट्टी में एक बार फिर भाषा और अस्मिता को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। यहां की जनता अपनी मराठी पहचान पर गर्व करती है और जब कोई इस पर आंच लाने की कोशिश करता है तो विरोध की आवाजें भी बुलंद हो जाती हैं। हाल ही में शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का एक पुराना वीडियो वायरल हो गया जिसमें वे कहते हैं, “मैं महाराष्ट्र में मराठी हूं, लेकिन भारत में हिंदू हूं।” उनकी यह बात आज की भाषा विवाद की तपिश के बीच नई रोशनी दे रही है।
Maharashtra बाला साहेब ठाकरे का संदेश एकता का आह्वान
Maharashtra इस पुराने वीडियो में ठाकरे साफ कहते हैं कि भाषाई पहचान से ऊपर राष्ट्र की एकता और हिंदुत्व होना चाहिए। उन्होंने मराठी होने पर गर्व जताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भाषाई भेदभाव से बचना चाहिए। उनका यह संदेश आज के तनावपूर्ण माहौल में और भी प्रासंगिक हो गया है।
राज ठाकरे का जोशीला संबोधन मराठी भाषा का सम्मान जरूरी
मुंबई में हुई एक बड़ी रैली में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने जनता को संबोधित करते हुए मराठी भाषा और सम्मान की बात मजबूती से रखी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में रहने वाले हर व्यक्ति को मराठी आनी चाहिए, चाहे वह गुजराती हो या कोई और। हालांकि उन्होंने हिंसा से बचने की सलाह दी लेकिन अपने तीखे अंदाज में यह भी जोड़ा कि अगर कोई मराठी के नाम पर नाटक करता है तो उसे सबक सिखाना चाहिए।
उद्धव और राज दो दशकों बाद एकजुटता का संदेश
Maharashtra इस रैली में एक ऐतिहासिक पल भी देखने को मिला जब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे करीब दो दशकों बाद एक ही मंच पर नजर आए। दोनों नेताओं ने साफ कर दिया कि वे मराठी अस्मिता और मुंबई की एकता के सवाल पर एकजुट हैं। उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम हिंदी थोपने नहीं देंगे। हम मुंबई को महाराष्ट्र से अलग नहीं होने देंगे।”
तीन भाषा नीति विवाद की असली वजह
Maharashtra सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले ने इस पूरे विवाद को जन्म दिया। जनता, शिक्षक और राजनैतिक दल इस फैसले के खिलाफ खड़े हो गए क्योंकि उन्हें लगा कि इससे मराठी भाषा और संस्कृति कमजोर होगी। भारी विरोध के बाद सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा।
मराठी बनाम हिंदी आत्मसम्मान की लड़ाई
Maharashtra राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक थोपने के विरोध में है। उन्होंने कहा, “हम किसी भी भाषा को सीख सकते हैं लेकिन मराठी हमारे आत्मसम्मान का प्रतीक है।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब मराठों ने भारत के बड़े हिस्से पर राज किया तब भी कभी मराठी नहीं थोपी गई, तो अब मराठी पर दबाव क्यों?
मुंबई को Maharashtra से अलग करने की आशंका
Maharashtra राज ठाकरे ने अपने भाषण में यह भी आरोप लगाया कि भाषा नीति के जरिए सरकार मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह एक परीक्षण था यह देखने के लिए कि जनता किस तरह प्रतिक्रिया देती है, और जनता ने इस साजिश का करारा जवाब दे दिया है।
मराठी अस्मिता की रक्षा जनता की जिम्मेदारी
Maharashtra यह सारा विवाद केवल भाषा का नहीं है बल्कि आत्मसम्मान और सांस्कृतिक जड़ों की रक्षा का है। बाला साहेब ठाकरे का पुराना संदेश और आज के नेताओं की हुंकार यही दिखाती है कि अगर जनता एकजुट रहे तो कोई भी ताकत उनकी पहचान को मिटा नहीं सकती।
डिस्क्लेमर: यह लेख विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और नेताओं के सार्वजनिक बयानों पर आधारित है। यहां व्यक्त विचार केवल सूचना के उद्देश्य से हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी निर्णय या निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले स्वयं तथ्यों की पुष्टि करें।
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