Shardiya Navratri 2025 इस बार भक्तों के लिए बेहद खास होने जा रही है। 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलने वाली यह नवरात्रि 10 दिनों की होगी। आमतौर पर नवरात्रि 9 दिन की होती है, लेकिन इस साल तिथियों के बढ़ने से एक अतिरिक्त दिन जुड़ गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह संयोग लगभग 9 साल बाद बन रहा है, जो भक्तों के लिए विशेष फलदायी है। धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि जब नवरात्रि लंबी होती है तो इसका शुभ प्रभाव और भी प्रबल हो जाता है। इस बार भक्तों को मां दुर्गा की कृपा पाने का एक अतिरिक्त अवसर मिलेगा।
मां दुर्गा का वाहन और आने वाले संकेत

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत रविवार से हो रही है। जब नवरात्रि रविवार या सोमवार से शुरू होती है, तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। हाथी को समृद्धि, शांति और खुशहाली का प्रतीक माना गया है। इसका अर्थ है कि इस बार मां दुर्गा का आगमन समाज और देश के लिए सुख और प्रगति लेकर आएगा। अगर नवरात्रि शनिवार या मंगलवार से शुरू होती तो मां अश्व पर आतीं, जबकि बुधवार को नौका और गुरुवार या शुक्रवार को डोली पर आगमन होता। हर वाहन का अलग-अलग फल होता है, लेकिन हाथी पर आगमन सबसे शुभ संकेत माना जाता है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि
नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे घट स्थापना भी कहते हैं। यह पूजन मां शक्ति का आह्वान है और इसे शुभ मुहूर्त में करना बेहद जरूरी है। 22 सितंबर को अमृत मुहूर्त सुबह 6:19 से 7:49, शुभ मुहूर्त 9:14 से 10:49 और अभिजीत मुहूर्त 11:55 से 12:43 तक रहेगा। घट स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में जौ बोकर उस पर जल भरा कलश रखा जाता है। नारियल, आम के पत्ते और रोली से सजे कलश को बीच में रखकर मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है। मान्यता है कि गलत समय पर स्थापना करने से पूजा का फल अधूरा रह जाता है। इसलिए भक्तों को मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए।
मां दुर्गा के स्वरूप और पूजा का महत्व
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार तृतीया तिथि दो दिन रहने के कारण देवी चंद्रघंटा की पूजा भी दो दिन होगी। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री इन नौ रूपों की आराधना जीवन के अलग-अलग संकटों को दूर करती है। भक्तों का विश्वास है कि हर देवी स्वरूप विशेष आशीर्वाद देता है। आधुनिक दृष्टिकोण से देखें तो यह पर्व आत्मबल, अनुशासन और सकारात्मकता को भी मजबूत करता है। यही कारण है कि Shardiya Navratri न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक रूप से भी अहम मानी जाती है।
नवरात्रि 2025 का समापन और दशहरा

इस बार नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर को होगा और इसी दिन विजयदशमी भी मनाई जाएगी। दशहरा अच्छाई की बुराई पर विजय का पर्व है, जब भगवान राम ने रावण का वध किया था। धार्मिक दृष्टि से यह दिन शक्तिपूजा का चरम माना जाता है। नवरात्रि और दशहरे का साथ में पड़ना भक्तों के लिए दोगुना शुभ माना जाता है। यह न सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उत्सव का भी प्रतीक है।
Shardiya Navratri 2025 भक्तों के लिए सौभाग्य लेकर आई है। दस दिनों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा की भक्ति, शक्ति और साधना का समय है। इस बार मां दुर्गा का हाथी पर आगमन सुख और समृद्धि के संकेत दे रहा है। सही मुहूर्त पर कलश स्थापना और नौ स्वरूपों की पूजा से भक्त अपने जीवन में शांति, उन्नति और सुख-समृद्धि पा सकते हैं।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिषीय गणनाओं और लोक परंपराओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या परंपरा का पालन करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
Also Read:
Aaj ka Rashifal 15 September 2025: मिथुन और सिंह वालों को रहेगा तनाव, जानें आज का भाग्यफल
Aaj Ka Rashifal 14 September 2025: जानें सभी राशियों का आज का भाग्य, लकी कलर और उपाय
Aaj Ka Rashifal 12 September 2025: करियर में सफलता और लक्ष्मी कृपा से चमकेगा दिन
