Shardiya Navratri: Shardiya Navratri 2025 का शुभारंभ हो चुका है और यह 2 अक्टूबर तक चलेगा। पूरे भारत में इन 9 दिनों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से शुभारंभ होता है और उसके बाद प्रतिदिन अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है। माना जाता है कि यदि भक्त नियमों का पालन करते हुए माता रानी की भक्ति करें, तो जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
पूजा-पाठ के दौरान किन बातों का रखें ध्यान

Shardiya Navratri में पूजा-अर्चना के समय भक्तों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। किसी भी सोशल मीडिया वीडियो या इंटरनेट रील से प्राप्त मंत्रों का जप न करें। हमेशा प्रमाणित स्रोत से ही मंत्रों का उच्चारण करें। साथ ही, संकल्प उतना ही लें जितना आप पूरा कर सकते हैं। अधूरा संकल्प भक्त को लाभ देने के बजाय दंड का भागी बना सकता है।
Shardiya Navratri के नौ दिनों के प्रमुख नियम
Shardiya Navratri के दौरान कुछ नियम ऐसे हैं जिन्हें निभाना आवश्यक है। इन नौ दिनों में बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करें और साधारण, सात्त्विक जीवन जिएं। पूजा करने वाले पुरुषों को धोती पहनकर ही अनुष्ठान करना चाहिए। इसके अलावा, रोजाना सुबह-शाम दीपक जलाना, धूप और आसन का प्रयोग करना शुभ माना गया है।
मंदिर और पंडाल दर्शन का महत्व
नवरात्रि के दिनों में घर के मंदिर के साथ-साथ पास के पंडालों में भी जाकर मां दुर्गा के दर्शन करना बहुत फलदायी माना जाता है। जिन लोगों को गुरु मंत्र की प्राप्ति नहीं हुई है, वे केवल “दुर्गा-दुर्गा” नाम का जप भी कर सकते हैं। इससे मन की शुद्धि और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
नवरात्रि 2025 भक्तों के लिए विशेष सुझाव

- पूजा के समय हमेशा स्वच्छता का पालन करें।
- भोजन सात्त्विक और पवित्र होना चाहिए।
- बिना कारण किसी का मन न दुखाएं।
- जितना संभव हो व्रत और उपवास का पालन करें।
इन सुझावों से भक्त न केवल धार्मिक पुण्य प्राप्त करते हैं, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है।
Shardiya Navratri 2025 भक्तों के लिए आत्मिक शांति, शक्ति और समृद्धि का पर्व है। इन नौ दिनों के दौरान अगर भक्त नियमों का पालन करते हैं और माता रानी की पूजा पूरी श्रद्धा से करते हैं, तो उनके जीवन से नकारात्मकता दूर होकर सुख और शांति का वास होता है।
Disclaimer: यह लेख सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। पाठक अपनी व्यक्तिगत आस्था और परंपरा के अनुसार आचरण करें।
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